गुरुवार, 15 जुलाई 2010

रिश्ते

आखिर रिश्ते क्या होते हैं ?
क्या वे जिनसे हम जन्म के साथ ही जुड़ जाते है ?
या फिर जिन्हें हम धीरे-धीरे अनुभव से प्राप्त करते है ?
इन दोनों ही रूपों में सच्चा रिश्ता कौन-सा ?
कभी मन खून के रिश्तों की ओर दौड़ता...
तो कभी खून के रिश्तों से अलग...
लेकिन दोनों के बारे में सही कुछ नहीं कहा जा सकता।
जहाँ मन पूरे वेग के साथ बहने लगे...
हम अपने को उसमें पहले से ज्यादा इन्ज़ॉय करने लगें !
लेकिन .यही रिश्ता जब अपने निश्छल प्रवाह को छोड़ दे....
तो उससे ख़तरनाक रिश्ता और कोई नहीं !
रिश्तें में जहाँ छूट हो, स्पेस हो...
जिसमें कोई असुरक्षित भाव न हो...
और शायद इस सदी को उसकी ज़्यादा जरूरत है !

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