रविवार, 25 जुलाई 2010

जड़ें

खिलकर स्वाभिमान से खड़े
जड़ की मजबूती से ही...
जड़े पूरे वृक्ष को ताकत देती
ऊपर से फल-फूलों से सराबोर वृक्ष
जड़ से ही ऊर्जा पाता !
कितना निः साहय कर देता हैं
जड़ से कट जाना !
वैसे ही जैसे फलों-फूलों को
उनकी जड़ से अलग कर
फ्रिज़र में रख देने पर
आखिर क्या होता है ?
शायद वे थोड़ी साँस लेते है...
... मर-मर के !
ऐसे ही हमारी जड़ें,
जीवन का बहुत बड़ा सहारा है !
उससे कट कर हम कहाँ होगें !
वे हमारा पूरा अस्तित्व है !
हमारा इतिहास और संस्कृति ...
...पहचान है -'हमारी' !
हाँ, यह सच हैं- ग्राफ्टेट पौधों की तरह,
हम भी किसी दूसरी संस्कृति से जुड़े
लेकिन उसे भी पहले ठोस संस्कार चाहिए !
अपनी जड़ को न पहचानने वाला
क्या दूसरे की जड़ को पहचान पाएंगा ?
जड़ के बिना शाखाओं, पत्तों का कोई
अस्तित्व नहीं होता !
इसीलिए इस युग को अपनी जड़ों में जाना होंगा !
अपने को जानने वाला ही
दूसरों को जान सकता है !
इस बात को समझ जाना होगा !

1 टिप्पणी:

वाणी गीत ने कहा…

जड़ के बिना शाखों और पत्तों का कोई महत्व नहीं होगा ...
फलों और फूलों की बात तो भूल ही जाएँ ...
जड़ से कटते लोग यह समझेंगे जब ठूंठ हो जायेंगे ...
अच्छी कविता ...!