शुक्रवार, 16 नवंबर 2012
पहल
अरे ! भई इस बार भी पाँचवी लड़की ही हुई है ! कितनी अभागन है सीमा की मम्मी ! तो क्या जिंदगी भर राखी के लिए कोई कलाई न होंगी ? आखिर कौन करेंगा इस घर का बीड़ापार ? इसी कश्मकश में अपने समायानुसार तमाम तरह के आरोप-प्रत्यारोपों के बीच जिंदगी गुजरती गई। आज सीमा एक सरकारी कार्यालय में हिंदी अधिकारी है, घर की बड़ी बेटी के दायित्व को समझकर त्रियांलिस की उम्र में भी अविवाहित रहकर परिवार को सम्माल रही है। बाकी चार बहनें जिंदगी में अपने ढंग से व्यवस्थित हो चुकी हैं। पर सवाल अभी भी बाकी है कि सीमा का क्या ....?
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