शनिवार, 24 जुलाई 2010

रास्ता

जिंदगी का रास्ता
कितना घुमाऊदार !
हम तो बस सफर में हैं !
और सोचते हैं मंजिल पता हैं !
लेकिन मंजिल खुद अपना रास्ता चुनती है !
वर्जित-अवर्जित कई रास्तों पर चलें...
यह सोचकर की अनुभव सीखा दैगा...
उसमें तप कर सोना हो जाएगें !
पर रास्ते के आगे किस्मत खड़ी है !
मुँह बघाए !
हमें कहीं और चलना हैं !
पर चल विपरीत दिशा में रहें हैं !
विज्ञान कहता हमारा तरीका गलत हैं !
अध्यात्म कहता पिछले जन्मों का फल हैं !
हम इन दोनों के बीच खड़े हैं !
सोचते-कौन-सा रास्ता सही है !
सच, समझ नहीं आता....
रास्ते को अपने गलत कह सकते नहीं
और फिर स्वीकारते भी नहीं !
कैसी विडंबना में फँसे...
किस रास्ते पर चले...
तय नहीं कर पाते !
ढेरों रास्तों में किस्मत का द्वार...
कहाँ खुलता है ?
लेकिन जिंदगी का मज़ा तब...
जब सारे रास्ते अपने लगें !
सही-गलत जाने बिना,
बस सिर्फ चलने का जुनून हों !
तब ही तो 'खुलजा सिमसिम'...
कहते ही दरवाजे खुल जाएगें !
शायद, रास्ता अच्छा या बुरा नहीं !
बल्कि ये तो हमारी सोच हैं...!
बस, हमें तो चलते जाना हैं.....

2 टिप्‍पणियां:

Udan Tashtari ने कहा…

बहुत उम्दा!

mastkalandr ने कहा…

सही-गलत जाने बिना,
बस सिर्फ चलने का जुनून हों !
तब ही तो 'खुलजा सिमसिम'...
कहते ही दरवाजे खुल जाएगें !
शायद, रास्ता अच्छा या बुरा नहीं !
बल्कि ये तो हमारी सोच हैं...!
बस, हमें तो चलते जाना हैं...बस चलते जाना ..
http://www.youtube.com/watch?v=Q61P5-Am198
बहुत खूब..,सुन्दर सुन्दर कविताओं और ख़ूबसूरत ब्लॉग के लिए सुभकामनाएँ स्वीकार कीजिए..
अपनी ज़िन्दगी में जब भी कुछ पाया है उसके बदले में बहुत कुछ खोया भी है .
कालचक्र जब किसी मोड़ पर कुछ देता है,बदले में किसी दुसरे मोड़ पर बहुत कुछ ले भी जाता है , किसी ने कहा भी है एक हाथ से देती है दुनियां सौ हाथों से ले लेती है .. मक्
http://www.youtube.com/mastkalandr
http://www.youtube.com/9431885